कार्नेलिया परी लोक की राजकुमारी थी। वह एक दिन रात्रि के समय पृथ्वी पर घूमने के लिए आती है। एक घर से खूब हंसने की आवाज आती है। कार्नेलिया जाकर देखती है तो पता चलता है बच्चे आपस में खेल रहे हैं। अपना रूप बदल कर उन बच्चों से दोस्ती कर ली। खेलते खेलते काफी देर हो गया। कार्नेलिया को अब यहां मन लग गया था। वह अपने परी लोक नहीं जाना चाहती थी। उसने बहाना बनाकर अपने दोस्तों के साथ रुकने का मन बना लिया। वह अब पृथ्वी पर ही रहने लगी।
अब वह शिष्य राजा बन गया था. राजा बनने के बाद उसने अपने गुरु की आज्ञा मानी और अनेक शिवालयों तथा धर्मशालाओ का निर्माण किया तथा ख़ुशी-खुश राज करने लगा।
काली परी साधु से पूछती है, ‘क्या हुआ आप उदास क्यों हो? साधु बोला, ‘मेरी गाय और उसका बछड़ा गुम हो गए हैं.’ शाम होने को आई अभी तक घर नहीं लौटे हैं.’ काली परी कहती है, उदास मत होइए हम आपकी मदद करते हैं.’ काली परी अपनी छड़ी निकालती और बोलती है,
वह अंदर आते हुए रानी परी और राजकुमार ने देखा कि इच्छा परी जो पकड़ी जा चुकी थी और वो एक बंधन में बंधी थी। जादूगर उस वक्त वहां पर नहीं था क्योंकि वह गुफा को देखने के लिए दूसरी छोर की तरफ गया हुआ था। इच्छा परी ने रानी परी को सारी आपबीती सुनाई। उसके बाद रानी परी ने इच्छा परी को छुड़ा लिया।
यह बात इच्छा परी को अच्छी नही लगी और उसको गुस्सा आ गया। गुस्से से लाल होकर इच्छा परी ने अपने जादू से उस जादूगर को पकड़ना चाहा लेकिन वह जादूगर भी जादू जानता था इसलिए उसने ऐसा नहीं होने दिया। जादूगर, इच्छा परी से ज्यादा शक्तिशाली था।
बुढ़िया कहती है, check here चिंता मत करो, मैं तुम्हारी मदद करूंगी। जैसे ही बूढ़ी औरत परियों को मुक्त करने के लिए आगे बढ़ती है, उसे एक शक्तिशाली बिजली का झटका लगता है। वृद्धा जमीन पर गिर जाती है। इसी बीच भली परी कहती है कि हमारी एक लाठी ले लो और अल्लाह का नाम लेकर छुरी हमारी ओर तान दो, बुढ़िया ठीक वैसा ही करती है और बिजली की रस्सी टूट जाती है। सभी परियों को मुक्त कर दिया जाता है। लेकिन तभी वहां वही डायन आ जाती है। बुढ़िया और आजाद परियों को देखकर डायन आग बबूला हो जाती है और कहती है कि अब मैं तुम सबको मार डालूंगी। लेकिन फिर परियां अपनी जादू की छड़ी उठाती हैं और डायन को हमेशा के लिए एक बोतल में बंद कर देती हैं। परियाँ, बूढ़ी औरत को धन्यवाद देते हुए, अपनी छड़ी की मदद से अपनी परियों की दुनिया में चली जाती हैं, अपने पीछे एक शानदार घर, अलग खाने का सामान और बूढ़ी औरत के लिए हीरे छोड़ जाती हैं।
लेकिन एक दिन, राजकुमारी एक कमरे में अकेली थी। उसे एक सुई मिली और वह उससे खेलने लगी। तभी, वह गलती से सुई से चुभ गई। जैसे ही राजकुमारी सुई से चुभी, वह तुरंत सो गई। राजा और रानी बहुत दुखी हुए। उन्होंने अपनी बेटी को जगाने की हर संभव कोशिश की, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।
जब चारों परियों ने थोड़ी देर बाद आँखे खोली तो सबने देखा कि उनके चारों तरफ सुंदर सुंदर फूल और तितलियां फूलों पर मंडरा रही थी और ठंडी ठंडी हवा चल रही थी।
हिरण के आँखों से आशु निकल रही थी. हिरण के बच्चे ने तभी कहा-'नीलम मैं तुम्हें जानता हूँ तुम बहुत अच्छी लड़की हो' राजकुमारी नीलम हैरान हो गई वहाँ उनदोनो के अलावा कोई नहीं था.
लाल परी के चारों तरफ तीनों परियां मग्न होकर नाच रही थी , जो लालपरी ही जितनी सुन्दर दिख रही थी और सभी परियों को यह भनक भी नही थी कि उन्हें दो नन्ही आंखें मोहित होकर देख रही हैं। खुशी के कमरे से वह नजारा एकदम साफ दिखता था। माँ ने आज तक जो परियों की कहानी उसको सिखायी थी आज वो साक्षात देखकर मंत्रमुग्ध हो रही थी।
शिष्य को ऐसा लगा की वह जीवित अवस्था में ही स्वर्ग में आ गया हैं. हर तरफ मीठे और स्वादिष्ट मिठाइयाँ थी जिन्हे कोई भी कितना भी खा सकता था.
यह सभी कहानियां बाल मनोविज्ञान पर आधारित होती हैं। यह एक कल्पना की दुनिया में ले जाती है। जहां परीयाँ अपने व्यवहार के कारण एक विशेष होने का आभास कराती है। यह कहानियां बच्चों के मन पर प्रभाव डालने का कार्य करती है। बच्चे सकारात्मक रूप से इन कहानियों को ग्रहण करते हैं।
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एक नदी के किनारे, अनार के पेड़ के नीचे बैठ कर वो ज़ोर ज़ोर से रो रही थी कि तभी एक नन्ही सी परी प्रकट हुई।